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गुरुवार, 28 अक्तूबर 2010

एन. एस.यू. आई. और कांग्रेस का परिवारवाद

अभी कुछ दिन पहले एक रेडियो पर एक विज्ञापन सुना..... विज्ञापन एन. एस.यू. आई. से जुड़ा  हुआ था.... जिसमे युवक कोंग्रेस के सदस्यों को और सभी युवाओं को राहुल गाँधी के नेतृत्व में चलने के लिए प्रोत्साहित  किया जा रहा था.... विज्ञापन तो असरदार था....पर... एक बात मन को झकझोरे जा रही थी......इसीलिए अपने मन में उपजे कुछ विचारों  को आप के सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ .
           
            
   एन. एस.यू. आई एक ऐसा छात्र संगठन है जो वर्षों से छात्र राजनीती में नए आयाम गढ़ता आया है....... इतने  वर्षों  में एन. एस.यू. आई . ने तमाम ऐसे नेता देश को दिए है जो छात्र राजनीती का सफ़र तय करके राष्ट्रीय राजनीती में अपनी एक अलग जगह बनाई है ....पर ये बेचारे परिवारवाद की राजनीती के चलते पार्टी में केवल जी हुजूरी का काम ही  पा सके है .... स्तिथि पहले भी वही थी..... और अब भी वही है...... पार्टी में केवल नेहरु गाँधी परिवार की ही चलती है.... बाकि का काम केवल हाथ बांधे सर नीचे किये आज्ञा का पालन करना है..... अगर किसी कोंग्रेसी को मेरी इस बात से ऐतराज़ है तो वह बेधड़क मुझसे कह सकता है.... पर कहने से पहले ये जरूर सोच ले की इतने वर्षों तक राजनीतिक अनुभव लेने के बाद वह नौसिखिये राहुल के नेतृत्व  में क्यों चलाना चाहता है ? क्या एन. एस.यू. आई. इतने वर्षों में एक भी ऐसा नेता देश को दे सका जो जो आगे बढ़कर पार्टी का संचालन करे और फिर देश की बागडोर सम्हाल सके ? मै केवल एक नेता की बात कर रहा हूँ ....केवल एक नेता की..... एन. एस.यू. आई. में क्षमता बहुत है..... जोश बहुत है ...... पर फिर वही कहानी या हकीकत जिसको खुले तौर पर मानने को कोई भी कोंग्रेसी तैयार नहीं होगा.... वह है परिवारवाद ..... मै जो कह रहा हूँ... अगर वो सच नहीं है... तो फिर कुछ उदाहरण आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ.... जो लोगों की आँखों को खोलने में सही  साबित होगा.....अर्जुन सिंह एक ऐसा नाम जिसकी भव्यता और साफगोई किसी से छुपी नहीं है.... जिनकी छवि हरदम एक साफ़ सुथरे नेता          की रही है.....छात्र राजनीती का सफ़र तय करके राष्ट्रीय राजनीती में आये पर परिवारवाद  ने उन्हें बहुत आगे जाने नहीं दिया..... यू पी ऐ    की सरकार में उन्हें मानवसंसाधन और विकास मंत्रालय का कार्य भार सौप दिया गया..... पर यू पी ए के दुसरे कार्यकाल में जब भोपाल गैस त्रासदी की बात सामने आई तो सारा दोष अर्जुन सिंह पर डाल दिया गया..... क्यों ...क्योंकि अगर अर्जुन  सिंह पर ये दोष न डाला जाता तो राजीव गाँधी की असलियत देश के सामने आ जाती..... राजीव गाँधी जी पूज्य बने रहे इसके लिए अर्जुन सिंह जी को बलि का बकरा बना दिया गया.... जो राजीव गाँधी कांग्रेस और देश में पूज्य है वही राजीव गाँधी भोपाल गैस त्रासदी के जिम्मेदार है... वही राजीव गाँधी  एंडर्सन को को भागने जिम्मेदार है..... वही रजीव गाँधी बोफोर्स घोटाले के नायक है.....हिंदुजा बंधुओ को  और इटली के बिचौलिए  क्वात्रोची को भगाने के का भी श्रेय इन्ही परम पूज्य राजीव गाँधी को जाता है....यहाँ भी कोई पार्टी कार्यकर्त्ता परिवार के विरुद्ध कुछ भी  नहीं बोल सका और न हे भविष्य में कभी बोल सकता है..... मनीष तिवारी कांग्रेस में है... छात्र राजनीती से वह भी यहाँ तक पहुचे है पर उनका काम केवल यही है की वह प्राइम टाइम में परिवार का गुडगान  करते है और राहुल बाबा की जय बोलते है..... अभिषेक मनु सिंघवी , रीता बहुगुड़ा जोशी अदि ऐसे अनेक नेता है जो इस परिवारवाद  की राजनीती का शिकार है... मै कहता हूँ की राहुल ही  क्यों है कांग्रेस से  अगले प्रधानमंत्री पद के दावेदार कोई अन्य कांग्रेसी क्यों नहीं है ..... इस छात्र संगठन को अब अपने हितों के लिए लड़ना  होगा..... अपने अधिकारों को पाने के लिए संघर्ष करना होगा.... परिवाद की राजनीती को खत्म करने के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है..... और एन. एस.यू. आई. ही  वह छात्र संगठन है जो इस तानाशाही राजनीती को खत्म  करने के लिए पहला कदम उठा सकता है.....तो कमर कस कर अपने अधिकारों को पाने के लिए तैयार हो जाइये ...और उखड फेकिये इस परिवारवाद  की ओछी राजनीती को....

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